The journey of Present - a inspired story.


रमेश बचपन से ही पढ़ाई मे बहुत हुशियार था । सभी अध्यापक भी कक्षा मे उसकी काफी प्रशंसा करते
 थे ।
रमेश के सारे रिश्तेदारों ,अध्यापकों और दोस्तो को लगता था कि वह बड़ा होकर जरूर कोई अच्छी सी नौकरी करेगा ।
वैसे रमेश को भी अपने ऊपर पूरा भरोसा था कि वह कुछ ना कुछ जरूर कर जायेगा । अब वह दिन -रात इसी सोच मे डूबा रहता कि आखिर वो बड़ा होकर  करेगा क्या ?



उसके मन मे अलग -अलग तरह के ख़याल आते,कभी वो कुछ बनने की सोचता तो कभी कुछ ।
ऐसा करते -करते काफी साल बीत गये गये । अब रमेश बड़ा हो चुका था । उसने अपनी बाहरवी कक्षा तक की पढ़ाई पूरी कर ली थी ।
अब उसको समझ मे नही आ रहा था कि वो आगे  क्या करे ?
उसे जो कोई भी मिल रहा था , अपनी तरफ़ से अलग -अलग सलाह दे रहा था ,कोई कुछ बता रहा था ,कोई कुछ ,रमेश भी काफी उलझन मे पड़ चूका था ।
वह अपना future बनाने के लिये कही दफ्तर मे नौकरी करने लगा ।  उसने सोच रखा था कि दफ्तर के काम से महीने की जो तनखाह आयेगी ,उससे अपने भविष्य बनाने के लिये उपयोग करूँगा ।
अब वह दिन -रात भागने लगा । उसके पास खेलने -कूदने का समय भी नही बचा । अब वह बस अपने काम की तरफ़ ही भागने लगा ।
रमेश सारा दिन काम करके इतना थक जाता था कि घर आकर चुप -चाप सो जाता ।
उसे अपना लक्ष्य अब साफ नज़र आ रहा था । उसके दिमाग मे चल रहा था कि अब मुझे पुलिस वाला बनना है । ऐसा करना है ,वैसा करना है । मेरी इतनी salary होगी ।
उसने अपनी job भी किसी कारण से छोड़ डाली और दूसरी job ढूँढ़ने लगा ।
अब जो भी उससे मिलता ,उससे वार -वार कहता कि अपनी नौकरी क्यों छोड़ दी ,कुछ और क्यों नही करते ।
रमेश के ऊपर दबाव दिन प्रतिदिन बढ़ता ही जा रहा था ,कभी कोई कुछ कहता तो कभी कोई कुछ ।
अब उसने ठान लिया कि मुझे कुछ करना है और थोड़े ही दिनो बाद उसको नयी नौकरी भी मिल गयी ।
वह नौकरी अच्छे से करने लगा ,घर आकर पढ़ाई करता ,फ़िर सुबह काम पर जाता ।
कई दिनो तक इसी तरह चलता रहा । उसने अपने अन्दर दृढ़ संकल्प कर लिया था कि उसे पुलिसवाला बनना है ।
रमेश ने बड़े -बड़े सपने देख रखे थे,उसे लगता था कि जब वो पुलिस वाला बन जायेगा । तब उसकी life मे खुशियाँ ही होगी ।
उसने एक -दो पुलिस की भर्तिया भी देखी पर वो select नही हो पाया ।
उसके दोस्तो ने उसे समझाया कि यार कुछ और कर ले ,पर उसका सिर्फ और सिर्फ एक ही जवाब था कि मेरे घर वालो और अपने अच्छे future के लिये मुझे पुलिस वाला ही बनना है ।  मै इसमे अच्छे पैसे कमा सकता हूँ ।
वह अपने लक्ष्य को पाने के लिये दिन- रात पागलों की तरह भागता है । अपना पूरा 100% देता है । उसे सिर्फ और सिर्फ आने वाला future ही दिखाई देता है ।
अब सभी लोग भी इस बात को मानने लगे कि ये पुलिस वाला बन कर ही दम लेगा । 
एक दिन रमेश काम से कही जा रहा था । अचानक रास्ते मे उसका accident हो  गया । रमेश को जब होश आयी तो उसने देखा कि वो एक hospital के बिस्तर पर लेटा पड़ा है ।
उसने देखा की सब लोग उसके आस-पास खड़े  है । उसके माता -पिता उसे देख कर रो रहे थे । 
उसने अपने माता  -पिता से पूछा कि आप क्यों रो रहे हो ,पर किसी ने कोई जवाब नही दिया ।
रमेश ने खड़े होने के लिये कंबल साइड किया और जैसे ही वो कंबल हटा ,उसने जो देखा उसके पैरो तले से ज़मीन खिसक गयी ।
उसने देखा कि उसका सिर्फ एक ही पाँव रह   गया है , रमेश को बहुत बड़ा सदमा लगा । उसने अपने माता -पिता से पूछा कि ये कैसे हुआ ,तो उन्होंने बताया कि accident  मे तुम्हारी एक टाँग पूरी तरह से crack हो चुकी थी । डाक्टरों  ने बताया कि अगर टाँग नही काटी तो तुम्हारा बच पाना मुश्किल है ,तो इस वजह से तुम्हारी टाँग कटवानी पड़ी ।
रमेश को बहुत दुख हुआ , उसे कुछ समझ नही आ रहा था । सबसे ज्यादा दुख उसे इस बात का हुआ कि अब वो पुलिसवाला नही बन पायेगा । अब वो मन ही मन पछताने लगा कि आखिर सोचा क्या था और हो क्या गया । अपना सारा समय उसने अपने लक्ष्य को पाने मे बीता दिया । सब कुछ भूल गया , खेलना -कूदना भूल गया, रिश्ते -नाते सब कुछ भूल गया ।
अच्छे future के लिये अपने present को भुला दिया और पुलिस वाले के इलावा कुछ ओर बनने का  कभी सोचा भी नही था ,और एक accident से सब ख़त्म , क्या सोचा था और क्या हो गया ।
कुछ दिन बीत गये । रमेश hospital से अपने घर वापिस आ चुका था । एक accident ने रमेश की life बदल दी । अब वह हमेशा खुश दिखाई देता था । छोटी -छोटी चीजो को enjoy करना उसने सीख लिया था । future मे क्या होना है ,इसकी चिंता करनी अब उसने छोड़ दी । अब वह अपने computer पे ही कुछ काम करके महीने के 50000 रुपये कमा लेता था ।
सचमुच रमेश को जिंदगी के मायने अब समझ मे आये ।
दोस्तो हम सोच कर के क्या बैठे होते है कि जब मुझे ये नौकरी मिल जायेंगी ,तब मुझे खुशी होगी ,तब ऐसा होगा ,ये होगा । पता नही क्या -क्या सोच कर के बैठे होते है ।
मतलब अगर मै पढ़ाई कर रहा हूँ तो तीन -चार साल बाद जब मेरी पढ़ाई ख़त्म होगी ,
अच्छे marks आयेंगे ,तब मै खुश होगा और और तब ऐसा होगा ,ऐसी जोब लगेगी । पर ऐसा.बहुत कम होता है ,चाहे practical कर के देख लेना ।
मान लो हम दिन -रात पागलों की तरह गाड़ी ,बंगलो के लिये भाग रहे थे और अचानक ही हमारी साँसें चलनी बन्द हो गयी ।
बस सब ख़त्म हो गया । हमने सोचा क्या था कि ये हो जायेगा ,ऐसा हो जाएगा ,पर हुआ वही जो life ने चाहा ।
होता वही है जो होना होता है और वो आपकी और मेरी समझ से परे है , अगले ही पल आपको नही पता कि आपके साथ मे क्या होना है ,मुझ को नही पता कि मेरे साथ मे क्या होना है ।
देखो हमारे पास मे तीन options है - past , present and future.
past जिसका आप कुछ नही कर सकते ,उसके बारे मे सोचना ही बेकार है । future के बारे मे सोचना अच्छी बात है । लेकिन future के बारे मे ही सोचते रहना ,बिल्कुल अच्छा नही है । 
फ़िर तो दिमाग मे आता है कि कुछ भी सोचो ही नही ,आप कोशिश ही मत करो ।  पर क्या आप ऐसा कर सकते हो ,कभी कर के देख लेना ,जिंदा लाश बन जाओगे । अगर आप सोचोगे ही नही तो जानवरों और आपमे क्या फर्क रह जायेगा । 
दोस्तो इस कहानी का conclusion सिर्फ और सिर्फ यही था कि आप सोचो ,जितना हो सके सोचो ,पर positive सोचो । 
लक्ष्य को पाने की दिन -रात कोशिश करो ,लेकिन जो सबसे important है वो ये कि हमेशा present मे जियो ।
ठीक है कभी -कभी पुरानी memories की वजह से sadness आ जाती है या फ़िर future को लेकर चिंता हो जाती है , पर वो feelings temporary होती है । अगर आज आप sad होकर सो रहे हो तो कल आप दुगनी motivation के साथ उठोगे ।
आप की खुशी की कोई वजह नही होनी चाहिये । आप को छोटी -छोटी चीजो मे खुशी मिलनी
 चाहिये ।
ज्यादातर हमारी planning कुछ इस तरह से होती है कि एक साल बाद ये होगा ,इतने पैसे आयेंगे तब मे खुश ही रहने वाला हूँ ,मेरी life मे कोई मुसीबत नही होगी ।
पर सोचना कैसे है कि एक साल बाद पता नही जिंदा भी रहूंगा या नही ,पर अभी इस movement मे क्या चल रहा है । अभी जिंदगी का क्या सुर निकल रहा है ,उसे अच्छे से enjoy करो । 
उमीद है कि आप को story पसंद आयी हो । अपने दोस्तो के साथ share करना मत भुले ।
ये भी ज़रूर पड़े ।

अच्छा पल बुरा पल ।